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World Exclusively Mine
Tuesday, August 16, 2016
काश
मैं एक कविता होती
कुछ देर तो तेरी सोंच में होती
सोच से अल्फाज़ में उतर जाती
और फिर कागज़ पे बिखर जाती
कितनी भी कविताएं लिख लेते तुम
पर हर उस कविता की तरह मैं भी तुम्हारी अपनी होती।
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